प्रिय दोस्तों मै आज आपके लिए लेकर आया हूँ Hindi Essay On Corruption | हमारा ये लेख बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्दक है | आईये शुरू करते है Hindi Essay On Corruption . हमारे ये प्रस्ताव आपके स्कूल के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है | इन प्रस्ताव से हमें जीवन की नैतिक शिक्षा का ज्ञान होता है |
Hindi Essay On Corruption -भ्रष्टाचार की समस्या है ✍
स्वतंत्रता से यहाँ गरीबी पूर्व हमने से , भुखमरी, अशिक्षा, अन्याय धनी-निर्धन के मध्य
की चौड़ी खाई आदि को मिटाने की जो कल्पनाएँ को थीं, भ्रष्टाचार रूपी दैत्य ने उनमें से हमारा
कोई भी स्वप्न सत्य सिद्ध नहीं होने दिया है।
जिन देशभक्तों ने भारत माता की बलिवेदी पर अपने प्राण हैंसते-हंसते न्योछावर कर टिए और जो लोग यहाँ पर विदेशी शासनजन्य गरीबी, अशिक्षा और अन्याय को मिटाने के लिए विदेशी शासन का अंत करने के प्रयास में फांसी के तख्ते पर झूल गएउनकी आत्माएँ देखकर रोती होंगी कि भ्रष्टाचार देश की प्रगति में घुन की तरह लगकर उसको निर्बल करता जा रहा है।
Hindi Essay On Corruption – भ्रष्टाचार एक समस्या 👀
हमारे देश में न तो उत्तम साधनों का अभाव रहा है, न उच्च कोटि के नेताओं का, न उत्कृष्ट कोटि के समाज-सुधारकों का, फिर भी संसार के समृद्ध राष्ट्रों की तुलना में हमारा स्थान कहीं भी नहीं ठहरता। इसका मूल कारण हमारा कोई राष्ट्रीय चरित्र न होना तथा व्यापारिक, प्रशासनिक, राजनीतिक व धार्मिक सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार का बोलबाला होना है।
व्यापारिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के नमूने में से एक है असली के स्थान पर नकला माल बेचना। बेईमानी से नकली माल बेचने में हम अच्छों-अच्छों के कान काटते हैं। कोई चीज बनकर बाजार में प्रसिद्धि प्राप्त कर भी नहीं पाती कि उसकी नकल पर तैयार की गई नकली वस्तुओं की भरमार हो जाती है।
Hindi Essay On Corruption -भ्रष्टाचार के नुकसान 🤳
खाद्य पदार्थो में मिलावट करने की प्रवृत्ति की जितनी भी निंदा की जाए, कम है। धूर्त लोगों को थोड़े से स्वार्थ के पीछे घोड़े की लीद, गेरू, खड़िया, बजरी आदि खिलाकर उनका स्वास्थ्य चौपट करते जरा भी शर्म नहीं आती। ऐसा नहीं है कि शासन को इस तथ्य का ज्ञान न हो, किंतु रिश्वत देवी की कृपा से इन, भ्रष्टाचारी दुकानदारों का बाल भी बांका नहीं होता।
Hindi Essay On Corruption – भ्रष्टाचार की जड़े 👩
विविध विभागों के इंस्पेक्टरों की मुट्ठी गरम होनी चाहिएफिर भाड़ में जाएँ देश और देशवासी। मिलावट के विषय में कही जानेवाली यह उक्ति गलत नहीं है कि अब तो विष भी शुद्ध नहीं मिलता।
सरकारी विभागों में, विशेषकर पुलिस और कचहरियों में व्याप्त भ्रष्टाचार के विषय में लिखते हुए तो लेखनी भी शरमाती है। इन दोनों विभागों पर देश में व्यवस्था कायम रखने और अन्याय को मिटाने का उत्तरदायित्व है, किंतु भ्रष्टाचार के देवता की कृपा से ये विभाग अव्यवस्था और अन्याय को बढ़ाने में ही अधिक योगदान करते हैं। ऐसी बात नहीं है कि कर्तव्यनिष्ठ सिपाही और पुलिस अफसरों का सर्वथा अभाव हो, किंतु बाहुल्य वैसे ही लोगों का है।
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पटवारी, कानूनगो, तहसीलदार, उनके मुहर्रिर आदि सफेद को स्याह और स्याह को सफेद बना सकते हैं। आपके सात पीढ़ियों के पुश्तैनी खेत या घर को अपने कागजातों में किसी दूसरे का दिखला सकते हैं। यदि आपको किसी चक्कर में फंसाकर एक बार अदालत बुला लिया गया तो वह चक्कर ऐसा चलता रहेगा कि आपकी सारी जायदाद बिक जाए | किंतु आपको आपदा से छुटकारा नहीं मिल सकेगा। हमारे देश के कर्णधार नेतागणों की आँखें कुरसी की ओर लगी रहती हैं और यह मंत्री
पद की कुरसी पाने की भूख ही राजनीतिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार को जन्म देती है, नाना प्रकार के हथकंडे अपनाकर चुनाव जीते जाते हैं, बाद में मंत्रित्व का जुगाड़ भिड़ाने के लिए थैलियों के मुँह खोल दिए जाते हैं।
Hindi Essay On Corruption – भ्रष्टाचार का निष्कर्ष 💼
‘आयाराम गयाराम ‘ की बीमारी ऐसी है कि रुपए देकर विपक्षी विधायक खरीदकर विपक्षी मंत्रिमंडल को गिरा देना भी असंभव नहीं है। जब हमारे नेताओं का ही यह हाल है तो उन क्लर्कों को क्या दोष दिया जाएजो छोटे-से-छोटा काम भी बिना रिश्वत लिये नहीं करते। मजहब के खतरे में होने का नारा लगाकरनिजी स्वार्थ सिद्ध करने वाले भ्रष्टाचारी लोगों का भी हमारे देश में अभाव नहीं है।
संक्षेप में कहा जा सकता है कि जब तक हम भ्रष्टाचार रूपी दानव से छुटकारा नहीं पाते भारत की सुखसमृद्धि और उन्नति के सभी स्वप्न अधूरे ही रहेंगे।
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